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क्या आप जानते हैं कि आपका CIBIL स्कोर क्यों इतना जरूरी है?
इस वीडियो में हम डीटेल में बात करेंगे:
🔹 CIBIL स्कोर की हिस्ट्री और इसमें RBI का रोल
🔹 लोन डिफॉल्ट और सेटलमेंट के बाद स्कोर कैसे प्रभावित होता है
🔹 अगर सेटलमेंट हो चुका है तो CIBIL स्कोर को धीरे-धीरे कैसे सुधारें
🔹 कौन से लोन लेने चाहिए जब स्कोर खराब हो और कैसे सही रास्ता चुनें
🔹 अगर आपका स्कोर अच्छा है तो किन बातों का ध्यान रखें ताकि वो कभी खराब न हो
🔹 और भी बहुत कुछ… खासतौर पर 11 महत्वपूर्ण पॉइंट्स जिनसे आपका CIBIL स्कोर स्ट्रॉन्ग बना रहेगा।
🎯 जानिए कि बैंक आखिर कैसे तय करते हैं कि आपको लोन देना है या नहीं?
🎯 कैसे आपकी विलिंगनेस और क्रेडिट वर्थिनेस आपके फाइनेंशियल फ्यूचर को प्रभावित करती है?
CIBIL स्कोर और बैंक लोन: कैसे प्रभावित करता है आपका क्रेडिट इतिहास?
जब भी आप बैंक से लोन लेने जाते हैं, तो सबसे पहले बैंक आपकी CIBIL रिपोर्ट चेक करता है। CIBIL रिपोर्ट आपके क्रेडिट वर्थिनेस और विलिंगनेस को दर्शाती है, जो बैंक को यह निर्णय लेने में मदद करती है कि आपको लोन दिया जाए या नहीं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह रिपोर्ट कैसे बनती है और आपके क्रेडिट स्कोर पर किस तरह के फैक्टर असर डालते हैं?
1. CIBIL स्कोर और बैंक की प्रक्रिया
जब आप लोन के लिए आवेदन करते हैं, तो बैंक यह चेक करता है कि आपके पास कितनी क्रेडिट हिस्ट्री है। बैंक को आपके क्रेडिट पैनल से CIBIL स्कोर प्राप्त होता है। यह रिपोर्ट यह बताती है कि आपने पहले किस प्रकार का लोन लिया था, क्या आपने समय पर EMI का भुगतान किया या नहीं, और अगर आपने कोई डिफ़ॉल्ट किया तो उसके परिणाम क्या थे।
2. डिफ़ॉल्ट और लेट EMI भुगतान
यदि आपने EMI समय पर नहीं चुकाई, तो यह आपका CIBIL स्कोर खराब कर सकता है। उदाहरण के लिए, अगर आपने जनवरी में भरने वाली EMI को फरवरी या मार्च में चुकाया, तो वह भी आपके स्कोर पर नकारात्मक असर डाल सकता है। इसलिए, EMI समय पर चुकाना बेहद जरूरी है, क्योंकि यह आपकी क्रेडिट वर्थिनेस को प्रभावित करता है।
3. CIBIL की रिपोर्ट कैसे बनती है?
CIBIL की रिपोर्ट CIBIL और बैंकों के बीच एक नेटवर्क पर आधारित होती है। जब आप लोन लेते हैं, तो बैंक आपकी क्रेडिट हिस्ट्री की रिपोर्ट CIBIL को भेजता है। CIBIL आपके लिए एक रिपोर्ट तैयार करता है जिसमें यह विवरण होता है कि आपने कितने लोन लिए, क्या आपने समय पर उनकी EMI चुकाई, और यदि नहीं तो क्यों।
4. CIBIL और RBI का रोल
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि RBI (Reserve Bank of India) ने 1994 में इस प्रणाली की शुरुआत की थी। उस समय RBI ने यह तय किया कि यदि कोई व्यक्ति ₹1,00,00,000 (एक करोड़) से ज्यादा के लोन का डिफ़ॉल्ट करता है, तो उसकी रिपोर्ट ट्रांसयूनियन सिबिल को भेजी जाएगी। इसका उद्देश्य था कि भविष्य में ऐसे व्यक्ति के लोन लेने पर निगरानी रखी जा सके।
5. विलफुल डिफ़ॉल्ट और बैंक की रिपोर्टिंग प्रक्रिया
बैंक से लोन लेने के बाद, यदि आप जानबूझकर डिफ़ॉल्ट करते हैं, तो बैंक को यह रिपोर्ट करना होता है। RBI ने 1999 में यह भी घोषणा की कि अगर कोई ₹25 लाख से अधिक का लोन जानबूझकर डिफ़ॉल्ट करता है, तो बैंक को इसे CIBIL को रिपोर्ट करना होगा। इसी प्रकार, यदि किसी की बिजनेस फेल होने या किसी मजबूरी की वजह से डिफ़ॉल्ट होता है, तो भी यह रिपोर्ट CIBIL के पास भेजी जाती है।
6. CIBIL रिपोर्ट और लोन रिकवरी
जब लोन डिफ़ॉल्ट होता है, तो बैंक उसे रिकवर करने के लिए कदम उठाते हैं। इसके बाद यह तय किया जाता है कि क्या डिफ़ॉल्ट जानबूझकर था या नहीं। अगर किसी की विलफुल डिफ़ॉल्ट है, तो उसका असर CIBIL स्कोर पर ज्यादा पड़ता है। वहीं, अगर किसी मजबूरी के कारण डिफ़ॉल्ट हुआ है, तो उसके असर को थोड़ी राहत मिल सकती है।
7. CIBIL स्कोर को सुधारने के उपाय
अगर आपका CIBIL स्कोर खराब है, तो आपको उसे सुधारने के लिए कुछ प्रयास करने होंगे:
EMI का समय पर भुगतान करें।
सेटलमेंट करने के बाद भी अपना स्कोर सुधारने की कोशिश करें।
नए लोन लेने से पहले यह सुनिश्चित करें कि आप अपनी वित्तीय स्थिति को पूरी तरह से समझते हैं।
CIBIL स्कोर: जानिए इसका महत्व और बैंक से लोन लेने में इसका प्रभाव
आपने अक्सर सुना होगा कि बैंक CIBIL स्कोर चेक करते हैं जब आप लोन के लिए आवेदन करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह CIBIL स्कोर कैसे काम करता है और आपके लोन पर इसका क्या असर होता है? आज हम इस ब्लॉग पोस्ट में CIBIL स्कोर, इसके इतिहास और इसके प्रभाव को समझेंगे।
CIBIL का इतिहास और फॉर्मेशन
CIBIL (क्रेडिट इंफॉर्मेशन ब्यूरो इंडिया लिमिटेड) एक प्रमुख क्रेडिट रेटिंग एजेंसी है जो भारत में क्रेडिट स्कोर का मूल्यांकन करती है। इसका जन्म 2004 में हुआ था, लेकिन इसकी शुरुआत 2000 के दशक के शुरुआत में हुई थी। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), HDFC, और ट्रांसयूनियन (जिसे CIBIL के नाम से जाना जाता है) ने मिलकर इसे स्थापित किया था। इस एजेंसी का उद्देश्य था, कस्टमर्स की क्रेडिट हिस्ट्री को सही तरीके से ट्रैक और मैनेज करना, ताकि बैंक बेहतर तरीके से लोन देने का निर्णय ले सकें।
CIBIL स्कोर की रेंज और लोन के प्रभाव
CIBIL स्कोर 300 से 900 के बीच होता है। यह आपकी क्रेडिट वर्थिनेस और लोन चुकाने की क्षमता को दर्शाता है। जितना ज्यादा आपका CIBIL स्कोर होगा, उतना ही अच्छा माना जाएगा और आपको बैंक से लोन कम ब्याज दर पर मिलेगा। अब हम समझते हैं कि इस स्कोर का बैंक लोन पर क्या असर होता है:
1. 300 से 500 के बीच CIBIL स्कोर
अगर आपका CIBIL स्कोर 300 से 500 के बीच है, तो इसे बेहद खराब स्कोर माना जाता है। ऐसे कस्टमर्स को बैंक लोन देने से बचते हैं क्योंकि बैंक को लगता है कि ये कस्टमर लोन चुकाने में सक्षम नहीं होंगे। ऐसे मामलों में, बैंक आपको लोन देने का जोखिम नहीं उठाना चाहते।
2. 500 से 700 के बीच CIBIL स्कोर
इस रेंज में आपका CIBIL स्कोर फेयर माना जाता है। हालांकि बैंक आपको लोन देने के लिए तैयार हो सकते हैं, लेकिन फिर भी ब्याज दर ज्यादा होगी क्योंकि बैंक को आपके ऊपर ज्यादा विश्वास नहीं होता। इसके बावजूद, आपको लोन मिलने की संभावना रहती है, लेकिन इसके लिए आपको कुछ शर्तें पूरी करनी पड़ सकती हैं।
3. 700 से 800 के बीच CIBIL स्कोर
जब आपका CIBIL स्कोर 700 से 800 के बीच होता है, तो यह माना जाता है कि आपका CIBIL स्कोर अच्छा है। ऐसे कस्टमर्स के लिए बैंक लोन देने के लिए तैयार रहते हैं, और ब्याज दर भी कम होती है। बैंक आपको लोन जल्दी और कम ब्याज दर पर दे सकते हैं, लेकिन कुछ सावधानी बरतने की जरूरत हो सकती है।
4. 800 से 900 के बीच CIBIL स्कोर
यह सबसे अच्छा CIBIL स्कोर है, जिसे असाधारण माना जाता है। यदि आपका CIBIL स्कोर 800 से ज्यादा है, तो बैंक आपके पीछे-पीछे भागते हैं। ऐसे कस्टमर्स के लिए, ब्याज दर को और भी कम किया जा सकता है और लोन की शर्तें भी बेहद सुविधाजनक होती हैं। इसके अलावा, 800+ स्कोर वाले कस्टमर्स को बैंक सबसे पहले प्राथमिकता देते हैं क्योंकि ऐसा स्कोर आसानी से नहीं मिलता। इसे प्राप्त करने के लिए कस्टमर्स को समय पर लोन चुकाने और अच्छी क्रेडिट हिस्ट्री की आवश्यकता होती है।
प्रैक्टिकल टिप्स: CIBIL स्कोर कैसे बढ़ाएं
1. EMI का समय पर भुगतान करें।
2. लोन के सेटलमेंट के बाद भी अपनी क्रेडिट हिस्ट्री सुधारने की कोशिश करें।
3. अत्यधिक लोन से बचें और अगर संभव हो तो लोन चुकाने में जल्दी करें।
4. अपने क्रेडिट कार्ड का सतर्कता से इस्तेमाल करें और समय पर भुगतान करें।
निष्कर्ष:
CIBIL स्कोर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जब बात आती है बैंक से लोन लेने की। यदि आपका CIBIL स्कोर अच्छा है तो आपको लोन मिलने की संभावना अधिक होती है और आपको कम ब्याज दर भी मिल सकती है। वहीं अगर आपका CIBIL स्कोर खराब है तो बैंक से लोन मिलना मुश्किल हो सकता है। इसलिए, हमेशा अपने CIBIL स्कोर को बनाए रखने के लिए जिम्मेदारी से लोन का भुगतान करें और समय-समय पर इसकी समीक्षा करते रहें।
CIBIL स्कोर को समझना और उसे सुधारना आपकी वित्तीय स्थिति को बेहतर बना सकता है, जिससे भविष्य में आपको बेहतर लोन शर्तें मिल सकती हैं।
CIBIL स्कोर: लोन लेने के लिए महत्त्वपूर्ण है समय पर EMI का भुगतान
CIBIL स्कोर आजकल किसी भी व्यक्ति के वित्तीय जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है। बैंक जब भी किसी कस्टमर को लोन देने का विचार करते हैं, तो उनका CIBIL स्कोर चेक करना एक अनिवार्य प्रक्रिया है। अगर आपका CIBIL स्कोर अच्छा है, तो आपको बैंक से कम ब्याज दर पर लोन मिलने की संभावना होती है। लेकिन क्या होता है जब आप समय पर अपनी EMI नहीं भरते हैं? इस ब्लॉग में हम CIBIL स्कोर, EMI भुगतान और इसके प्रभाव को विस्तार से समझेंगे।
CIBIL स्कोर का असर: समय पर EMI का भुगतान क्यों जरूरी है?
जब भी आप बैंक से लोन लेते हैं, तो आपको EMI (Equated Monthly Installment) का भुगतान करना होता है। अगर आपने अपनी EMI समय पर नहीं भरी, तो इसका असर CIBIL स्कोर पर पड़ता है। बैंक CIBIL रिपोर्ट को Special Mention Accounts (SMA) के रूप में वर्गीकृत करते हैं और आपको एक श्रेणी में डाल देते हैं, जो आपके CIBIL स्कोर को प्रभावित करता है।
SMA Categories:
SMA 0:
जब आप एक EMI भी देर से भरते हैं, तो आपका खाता SMA 0 के तहत आता है। इसका मतलब है कि आपकी EMI बकाया है, लेकिन 30 दिन तक आपने उसका भुगतान नहीं किया है।
SMA 1:
जब आप दो EMI तक का भुगतान नहीं करते, तो आपका खाता SMA 1 के तहत आता है।
SMA 2:
जब आप तीन EMI तक का भुगतान नहीं करते हैं, तो आपका खाता SMA 2 के तहत आ जाता है और बैंक इसे गंभीर रूप से मानता है।
अगर आपने 19 दिनों तक अपनी EMI का भुगतान नहीं किया, तो Non-Performing Asset (NPA) घोषित हो जाता है। इसका मतलब यह है कि आपकी उधारी अब बैंक के लिए जोखिमपूर्ण हो गई है। और जैसे ही यह स्थिति होती है, बैंक CIBIL को एक रिपोर्ट भेजता है, जिससे आपके CIBIL स्कोर पर भारी असर पड़ता है।
कभी न भूलें:
अगर आपने अपनी EMI 1 जनवरी को भरनी थी और आप 1 मार्च को या उससे बाद में भुगतान करते हैं, तो यह आपके CIBIL स्कोर को कम करेगा। भले ही आपका लोन चल रहा है और आपने किसी भी कारण से भुगतान में देरी की हो, आपको लगता है कि पेनल्टी के साथ भर देंगे, लेकिन यह आपके स्कोर को प्रभावित करेगा।
क्या होता है जब लोन का भुगतान नहीं करते?
मान लीजिए किसी ने 20 लाख रुपये की कार खरीदी और EMI पर लोन लिया। अगर वह व्यक्ति समय पर EMI नहीं भरता है, तो CIBIL स्कोर धीरे-धीरे गिरता जाएगा। ऐसा नहीं है कि लोन चुकता होने के बाद कोई फर्क नहीं पड़ेगा, बल्कि यह जरूरी है कि EMI का भुगतान समय पर हो, ताकि भविष्य में कोई समस्या न हो। अगर आपकी क्रेडिट हिस्ट्री खराब हो जाती है, तो आपको भविष्य में लोन के लिए आवेदन करते समय अधिक ब्याज दर का सामना करना पड़ सकता है।
EMI का भुगतान समय पर कैसे सुनिश्चित करें?
ऑटो-डेबिट सेट करें: अपनी EMI की तारीख पर ऑटो-डेबिट सेट करने से आपको अपनी EMI समय पर चुकता करने में मदद मिलेगी।
बजट बनाएं: अपनी वित्तीय स्थिति को समझें और EMI के भुगतान के लिए पर्याप्त धनराशि सुनिश्चित करें।
कम से कम 1 दिन पहले भुगतान करें: EMI का भुगतान 1 दिन पहले कर दें, ताकि अगर कोई तकनीकी समस्या हो, तो भी भुगतान में देरी न हो।
अगर आपने कभी लोन नहीं लिया है:
बहुत से लोग, खासकर नए जॉइन हुए स्टूडेंट्स या जॉब हॉल्डर्स, के पास CIBIL स्कोर नहीं होता। यदि आप किसी बैंक से लोन लेना चाहते हैं, तो बैंक के पास आपकी क्रेडिट हिस्ट्री नहीं होगी। इस स्थिति में, बैंक को यह समझने में कठिनाई हो सकती है कि आप एक योग्य कस्टमर हैं या नहीं।
क्या करें अगर आपको कभी लोन नहीं मिला?
क्रेडिट कार्ड लें: आप एक छोटा सा क्रेडिट कार्ड ले सकते हैं और उसे जिम्मेदारी से इस्तेमाल कर सकते हैं।
छोटे लोन लें: शुरुआत में छोटे लोन (जैसे पर्सनल लोन या कार लोन) लें और समय पर उनका भुगतान करें।
सुविधाजनक EMI का भुगतान करें: छोटे लोन पर EMI समय पर भरकर अपने CIBIL स्कोर को स्थापित करें।
CIBIL स्कोर और लोन लेने की प्रक्रिया: जानें क्या करें और क्या न करें
जब आप पहली बार लोन लेने का सोचते हैं, तो CIBIL स्कोर की अहमियत से अनजान होना स्वाभाविक है। आपके CIBIL स्कोर का सीधा संबंध आपके लोन की स्वीकृति और ब्याज दर से होता है। खासकर, जो लोग पहली बार लोन के लिए अप्लाई कर रहे हैं, उनके लिए यह जानकारी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
आज हम इस ब्लॉग में CIBIL स्कोर, लोन लेने की प्रक्रिया और कुछ सामान्य गलतियों पर चर्चा करेंगे, जिन्हें आपको समझना चाहिए ताकि आपका CIBIL स्कोर हमेशा अच्छा रहे और आपको लोन में कोई परेशानी न हो।
पहली बार लोन लेने वाले ग्राहकों का CIBIL स्कोर क्या होता है?
जिन लोगों ने पहले कभी लोन नहीं लिया, उनका CIBIL स्कोर “-1” होता है। यह एक सामान्य स्थिति है और इसका मतलब यह नहीं है कि उनका CIBIL स्कोर बहुत खराब है। -1 सिर्फ यह दर्शाता है कि इस व्यक्ति की कोई क्रेडिट हिस्ट्री नहीं है, क्योंकि उसने पहले कभी लोन नहीं लिया।
अब, जब आप पहली बार लोन के लिए आवेदन करते हैं, तो बैंक आपकी आवश्यकताओं और आय की जाँच करता है। अगर आप सैलरीड हैं, तो आपकी सैलरी स्लिप चेक की जाती है, यदि आप एक व्यवसायी हैं तो आपकी ITR (Income Tax Return) देखी जाती है।
CIBIL स्कोर के बारे में और जानें:
बैंक उन व्यक्तियों को लोन देते हैं, जिनकी आय स्थिर और पर्याप्त होती है, चाहे उनका CIBIL स्कोर -1 ही क्यों न हो। हालांकि, पहली बार लोन लेने पर ब्याज दर ज्यादा हो सकती है, क्योंकि CIBIL स्कोर का कोई पिछला रिकॉर्ड नहीं होता।
क्या करना चाहिए अगर CIBIL स्कोर -1 है?
आय को साबित करें: अगर आपकी कोई क्रेडिट हिस्ट्री नहीं है, तो बैंक आपकी आय की जानकारी जरूर चाहता है। अगर आप सैलरीड हैं तो सैलरी स्लिप और अगर आप व्यवसायी हैं तो आपकी ITR चेक की जाती है।
लोन की पात्रता: पहली बार लोन लेने के बाद, आपका CIBIL स्कोर 700 से 750 के बीच जा सकता है, और आपको अच्छा ब्याज दर मिल सकता है, लेकिन यदि आप एक बार लोन चुका देते हैं और समय पर EMI का भुगतान करते हैं तो आपका CIBIL स्कोर और बेहतर हो सकता है।
क्या करें जब आपका CIBIL स्कोर परफेक्ट है?
अगर आपका CIBIL स्कोर अच्छा है, तो आपको लोन प्राप्त करने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। फिर भी, कुछ ऐसी बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि आपका CIBIL स्कोर हमेशा अच्छा बना रहे:
1. क्रेडिट कार्ड का सही उपयोग:
जब आप क्रेडिट कार्ड लेते हैं, तो बहुत सारे लोग अपनी क्रेडिट लिमिट को पूरी तरह से इस्तेमाल कर लेते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आपके पास ₹1,00,000 की लिमिट है, तो आप ₹90,000 या ₹95,000 खर्च कर सकते हैं। यह गलत है, क्योंकि इससे आपका CIBIL स्कोर कम हो सकता है। आपको अपनी क्रेडिट लिमिट का 30% से 40% ही खर्च करना चाहिए।
2. क्रेडिट कार्ड लिमिट बढ़वाएं:
अगर आपको ज्यादा खर्च करना है तो आप अपनी क्रेडिट लिमिट को बढ़वाकर उसे ₹3,00,000 करवा सकते हैं। इससे आपके खर्चे को सही सीमा में रखा जा सकता है और आपका CIBIL स्कोर परफेक्ट बना रहेगा।
3. लोन का चयन: सिक्योर्ड या अनसेक्यर्ड?
लोन लेने से पहले यह समझना जरूरी है कि लोन सिक्योर्ड (जैसे कि कार लोन, होम लोन) और अनसेक्यर्ड (जैसे कि पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड लोन) दोनों प्रकार के होते हैं। सिक्योर्ड लोन में आपको कुछ गहनों या संपत्ति को गिरवी रखना होता है, जबकि अनसेक्यर्ड लोन में ऐसा कुछ नहीं होता।
सिक्योर्ड लोन की किस्तों का समय पर भुगतान करके आपका CIBIL स्कोर बेहतर रहेगा।
अनसेक्यर्ड लोन की अधिक मात्रा आपको CIBIL स्कोर में गिरावट ला सकती है, खासकर जब आप लगातार इन लोन को लेते रहते हैं।
4. पर्सनल लोन का गलत उपयोग:
मान लीजिए कि आपको ₹50 लाख का घर बनवाना है और आपके पास पहले से ₹30 लाख हैं, तो बहुत से लोग सोचते हैं कि क्यों न एक पर्सनल लोन लिया जाए। हालांकि, यह एक गलत तरीका हो सकता है। पर्सनल लोन की ब्याज दर अधिक होती है और इससे आपका CIBIL स्कोर धीरे-धीरे गिर सकता है।
इसके बजाय, आपको होम लोन के लिए आवेदन करना चाहिए, क्योंकि इसका ब्याज दर पर्सनल लोन से कम होता है और यह आपके CIBIL स्कोर को ज्यादा प्रभावित नहीं करता।
सिबिल स्कोर और लोन: क्या है उनका सम्बन्ध और कैसे सुधारा जा सकता है?
आजकल, हर कोई अपने वित्तीय जीवन में लोन लेने की सोचता है, चाहे वो होम लोन हो, पर्सनल लोन हो, या फिर अनसेक्युर्ड लोन। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपके लोन का सिबिल स्कोर पर क्या प्रभाव पड़ता है? यहां हम यह समझेंगे कि सिबिल स्कोर कैसे प्रभावित होता है, खासकर अनसेक्युर्ड लोन और सेट्लमेंट के मामलों में।
1. अनसेक्युर्ड लोन का प्रभाव
जब कोई व्यक्ति अनसेक्युर्ड लोन लेता है, जैसे कि पर्सनल लोन या क्रेडिट कार्ड लोन, तो उसका सिबिल स्कोर थोड़ा डाउन हो सकता है। हालांकि, यदि लोन की किस्तें समय पर भरी जाएं, तो इसका प्रभाव सीमित रहता है। लेकिन, अगर व्यक्ति कई अनसेक्युर्ड लोन एक साथ लेता है, तो सिबिल स्कोर पर गहरा असर पड़ सकता है।
2. लोन का टेन्योर (समय सीमा)
लोन का टेन्योर भी सिबिल स्कोर पर असर डालता है। लंबी अवधि का लोन, जैसे 5 या 10 साल के लिए लिया गया लोन, आम तौर पर सिबिल स्कोर को बेहतर बना सकता है क्योंकि यह दिखाता है कि व्यक्ति लंबी अवधि तक जिम्मेदारी से पैसे चुका सकता है। वहीं, यदि कोई व्यक्ति छोटी अवधि का लोन लेता है, तो इससे सिबिल स्कोर पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
3. लोन डिफ़ॉल्ट और सेट्लमेंट
यदि आप लोन चुकता नहीं कर पा रहे हैं, तो आपके लोन का डिफ़ॉल्ट हो सकता है, जिससे सिबिल स्कोर पर बहुत बुरा असर पड़ेगा। लेकिन, कुछ बैंक्स अपने ग्राहकों को "आउट ऑफ दी कोर्ट सेट्लमेंट" का विकल्प प्रदान करते हैं। इस प्रक्रिया में, ग्राहक और बैंक आपस में समझौता करते हैं और ग्राहक को कम रकम चुकता करने की अनुमति दी जाती है।
हालांकि, यहां ध्यान रखना ज़रूरी है कि सेट्लमेंट के बाद भी सिबिल स्कोर खराब ही रहेगा। चाहे आप कम पैसे देकर लोन का निपटारा कर लें, बैंक को पूरी रकम नहीं देने के बावजूद सिबिल स्कोर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
4. सिबिल स्कोर सुधारने के उपाय
सिबिल स्कोर सुधारने के लिए आपको कुछ समय का इंतजार करना होगा। अगर आपने सेट्लमेंट किया है, तो इसे सुधारने में कम से कम 5 से 6 साल का समय लग सकता है। इस दौरान, आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आप कोई नई लोन ना लें और समय पर बाकी की फाइनेंशियल जिम्मेदारियां निभाएं।
आपके द्वारा समय पर भुगतान करने से सिबिल स्कोर धीरे-धीरे सुधर सकता है, लेकिन इसका परिणाम समय के साथ ही मिलेगा।
CIBIL स्कोर सुधारने और लोन प्राप्त करने के सही तरीके: गोल्ड लोन से लेकर एनबीएफसी तक
CIBIL स्कोर एक महत्वपूर्ण मानक है जो आपकी वित्तीय स्थिति को दर्शाता है और आपके द्वारा लिया गया लोन किस प्रकार से चुकता किया जा रहा है, यह दर्शाता है। यदि आपका CIBIL स्कोर अच्छा नहीं है या बिल्कुल भी नहीं है, तो आपको लोन लेने में परेशानी हो सकती है। इस ब्लॉग में हम यह समझेंगे कि CIBIL स्कोर को कैसे सुधारें, किन बैंकों और एनबीएफसी (Non-Banking Financial Companies) से लोन प्राप्त किया जा सकता है, और किस प्रकार से लोन लेने के दौरान आपको सावधान रहना चाहिए।
CIBIL स्कोर को सुधारने के उपाय: गोल्ड लोन से शुरुआत करें
जब आपके पास CIBIL स्कोर नहीं होता या बहुत कम होता है, तो आपको लोन प्राप्त करने में दिक्कत हो सकती है। ऐसे मामलों में, सबसे आसान तरीका होता है गोल्ड लोन लेना। गोल्ड लोन एक सिक्योर्ड लोन होता है, जिसका मतलब है कि आप बैंक के पास अपने सोने को गिरवी रखकर लोन प्राप्त करते हैं। बैंक को आपके सोने की कीमत पर भरोसा होता है, इसलिए इसे आसानी से स्वीकृत कर लिया जाता है।
गोल्ड लोन क्यों है आसान?
सिक्योर्ड लोन: गोल्ड लोन सिक्योर्ड होता है, और चूंकि आप सोने को गिरवी रखते हैं, इसलिए बैंक को कोई जोखिम नहीं होता।
कम ब्याज दर: गोल्ड लोन की ब्याज दर सामान्यत: पर्सनल लोन या क्रेडिट कार्ड लोन से कम होती है।
मूल्यांकन आसान: बैंक को सोने का मूल्य पता होता है, और यह आसानी से बिक सकता है।
आप गोल्ड लोन ले सकते हैं, और उसके बाद जब यह लोन चुकता हो जाए, तो आप CIBIL स्कोर सुधार सकते हैं और फिर अन्य लोन के लिए अधिक अवसर पा सकते हैं।
एनबीएफसी से लोन लेना: ध्यान देने योग्य बातें
जब आप CIBIL स्कोर सुधारने के लिए गोल्ड लोन लेते हैं, तो एक और विकल्प एनबीएफसी (Non-Banking Financial Companies) है। एनबीएफसी से लोन प्राप्त करना अधिक आसान होता है, लेकिन इसमें एक बड़ा जोखिम यह है कि इनके ब्याज दर बैंक के मुकाबले अधिक हो सकते हैं। विशेष रूप से 0% EMI कार्ड और पर्सनल लोन के लिए एनबीएफसी आपके लिए आकर्षक विकल्प हो सकते हैं, क्योंकि ये लोन जल्दी मिल जाते हैं।
एनबीएफसी से लोन लेते समय सावधान रहें:
ब्याज दर पर ध्यान दें: एनबीएफसी की ब्याज दरें अक्सर ज्यादा होती हैं, इसलिए आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आप लोन को समय पर चुकता कर पाएंगे।
पेमेंट टर्म्स को सही से समझें: यदि वे आपको 0% EMI ऑफर करते हैं, तो सुनिश्चित करें कि आपकी किस्तों का समय और ब्याज दर क्या हैं।
अधिकारिक दस्तावेज़ चेक करें: एनबीएफसी से लोन लेते समय हमेशा उन दस्तावेज़ों को ध्यान से पढ़ें, जिनसे आपको बाद में समस्याएं न हों।
क्रेडिट कार्ड्स के साथ शुरुआत करें
एनबीएफसी से लोन लेने के बाद अगला कदम होता है क्रेडिट कार्ड प्राप्त करना। यदि आप समय पर अपना EMI चुकाते हैं और नियमित रूप से अपनी क्रेडिट लिमिट का 30-40% खर्च करते हैं, तो आपका CIBIL स्कोर बढ़ेगा और आपको भविष्य में अन्य लोन प्राप्त करने में आसानी होगी।
स्मॉल फाइनेंस बैंक और 0 बैलेंस सेविंग अकाउंट
जब आपका CIBIL स्कोर ठीक हो जाए, तो आप स्मॉल फाइनेंस बैंक और 0 बैलेंस सेविंग अकाउंट खोलने का विचार कर सकते हैं। इन बैंकों के साथ, आप अपने खाते में 0 बैलेंस रख सकते हैं और कुछ जरूरी वित्तीय सेवाएं प्राप्त कर सकते हैं। ये बैंक छोटे लोन और स्मॉल क्रेडिट फैसिलिटी भी प्रदान करते हैं, जो आपके CIBIL स्कोर को बेहतर करने में मदद कर सकते हैं।
नोट: यदि आप 0 बैलेंस सेविंग अकाउंट खोलना चाहते हैं, तो निम्नलिखित बैंक और एनबीएफसी आपके लिए बेहतरीन विकल्प हो सकते हैं:
कोटक महिंद्रा बैंक
इंडसइंड बैंक
एफआई मनी
जुपिटर मनी
स्मॉल फाइनेंस बैंक
इन अकाउंट्स को खोलने के बाद, आप अपने CIBIL स्कोर को सुधारने के लिए नियमित ट्रांजैक्शंस कर सकते हैं, जिससे आपकी वित्तीय स्थिति मजबूत होगी।
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